
संजय गुप्ता/बलरामपुर@ बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखण्ड के धौरपुर गांव में एक मार्मिक और विचलित कर देने वाला दृश्य सामने आया.. सड़क और पुल की सुविधा न होने से शव वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाया, जिसके चलते ग्रामीणों को मजबूरी में चारपाई (खाट) को ही एंबुलेंस बनाना पड़ा..
गांव की एक महिला का निधन होने के बाद परिजनों ने शव वाहन मंगाया, लेकिन रास्ता न होने और बीच में नदी आने के कारण वाहन गांव तक नहीं पहुंच सका.. ऐसे में ग्रामीणों ने खाट पर शव को रखा और करीब 4 किलोमीटर तक पैदल चलते हुए नदी पार कर मुख्य सड़क तक पहुंचे.. वहां जाकर शव वाहन में शव रखा गया और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो सकी..
यह घटना न केवल ग्रामीणों की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि सिस्टम की बड़ी खामियों पर भी सवाल खड़े करती है.. आज़ादी के 78 साल बाद भी धौरपुर जैसे गांव सड़क और पुल जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं..
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द गांव को सड़क और पुल की सुविधा से जोड़ा जाए ताकि आपात स्थिति में किसी भी परिवार को इस तरह की पीड़ा न सहनी पड़े..
यह मामला व्यवस्था पर गहरी चोट करता है – जहां मजबूरी में इंसानों को इंसान की लाश ढोने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ रहा है..