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लुती बांध टूटने से तबाही : सास–बहू समेत 4 की मौत, तीन लापता संबंधित विभाग की लापरवाही से गई मासूम जिंदगियां..

On: Wednesday, September 3, 2025 6:04 PM
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संजय गुप्ता/बलरामपुर@ जिले के लुती गांव में बीती रात 40 साल पुराने बांध के टूटने से दिल दहला देने वाली त्रासदी सामने आई.. रात करीब 10 से 11 बजे के बीच अचानक बांध का 100 मीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया.. तेज़ बहाव में नीचे बसे कई घर चपेट में आ गए.. हादसे में सास–बहू समेत 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि अभी अब भी तीन लोग लापता बताए जा रहे है..  जिनकी तलाश में NDRF की टीम लगी हुई है..


हादसे में उजड़े घर

रजनति पति गणेश (26 वर्ष) और बतशिया पति रामवृक्ष (55 वर्ष) की मौके पर ही मौत हो गई.. दोनों आपस में सास–बहू थीं!

रामवृक्ष की एक बहू और उसके तीन छोटे बच्चे भी पानी में बह गए!

सुबह खोजबीन के दौरान गणेश (30 वर्ष) और प्रिया सजीवन (6 वर्ष) के शव भी बरामद किए गए!

लापता लोगों की तलाश एनडीआरएफ की टीम कर रही है!

पेड़ से चिपककर बचाई जान

घर मालिक रामवृक्ष भी पानी के तेज़ बहाव में बह गए थे.. लगभग 300 मीटर दूर जाकर उन्होंने एक पेड़ से चिपककर किसी तरह अपनी जान बचाई.. परिजनों की असमय मौत ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है..

बाल-बाल बचे 10 लोग

बांध से लगभग 500 मीटर दूर रहने वाले कालीचरण टोप्पो (60 वर्ष) के घर में भी पानी घुस गया.. अचानक 6 फीट पानी आने से घर में मौजूद 10 सदस्य तैरकर बाहर निकले.. खुद कालीचरण भी बहते हुए पेड़ से टिककर बचे.. उनकी पत्नी फूलमनी टोप्पो (55 वर्ष) पर दीवार गिर गई थी, जिसे रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया..

प्रशासन पर उठे सवाल

ग्रामीणों का आरोप है कि लुती बांध काफी जर्जर हो चुका था.. इसकी मरम्मत और सुरक्षा को लेकर बार-बार मांग की गई, लेकिन जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया.. नतीजा यह हुआ कि बारिश के दबाव में बांध टूटा और कई मासूम जिंदगियां तबाह हो गईं..

यह हादसा केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है.. अगर समय रहते बांध की देखरेख की जाती तो आज निर्दोष लोगों की जानें नहीं जातीं.. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी समय-समय पर बांध में दरार और रिसाव की जानकारी देने के बाद भी संबंधित विभाग ने हमेशा इस ओर अनदेखी की और आज इतने बड़े हादसे की वजह बन गई..

ग्रामीणों की मांग

•हादसे की उच्च स्तरीय जांच हो।

•मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और पुनर्वास मिले।

•जिले के सभी पुराने बांधों की तुरंत तकनीकी जांच की जाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

•प्रशासन कब तक हादसों के बाद जागेगा? यह सवाल अब लुती गांव ही नहीं, बल्कि पूरे बलरामपुर जिले का है।

बहरहाल अब इस मामले में सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हादसे पर दुख जताया है और हर संभव प्रभावित ग्रामीणों की मदद करने का आश्वासन दिया है.. साथ ही इस मामले में जिले के कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने मामले की जांच के लिए टीम गठित करने की बात कही है..

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