संजय गुप्ता/बलरामपुर@ बलरामपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं.. शिक्षा विभाग में कार्यरत एक शिक्षक को तब बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा जब उसने एक ही टेस्ट तीन अलग-अलग लैब में कराया और हर जगह से अलग-अलग रिपोर्ट मिली..

जानकारी के अनुसार, शिक्षक को तबीयत बिगड़ने पर चिकित्सक ने कुछ जांच कराने की सलाह दी.. अम्बिकापुर की एक लैब से रिपोर्ट लाने पर डॉक्टर ने उस पर संदेह जताते हुए दोबारा टेस्ट कराने को कहा.. दूसरी लैब से आई रिपोर्ट पहले से अलग थी.. शिक्षक ने तीसरी जांच बलरामपुर में कराई तो वहां की रिपोर्ट भी बिल्कुल भिन्न निकली.. अब शिक्षक और डॉक्टर दोनों उलझन में हैं कि आखिर किस रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू किया जाए ?
लैब संचालकों की लापरवाही पर सवाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई लैब में बिना उचित प्रशिक्षण वाले युवक-युवतियों को बेहद कम वेतन पर बैठा दिया जाता है.. नतीजा यह होता है कि जांच में भारी गड़बड़ी सामने आती है.. यह सीधे-सीधे मरीजों की जान से खिलवाड़ है..
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को तत्काल हस्तक्षेप कर लैब की कार्यप्रणाली और तकनीशियनों की योग्यता की जांच करनी चाहिए, ताकि आम जनता सही और सटीक जांच रिपोर्ट पा सके..