बिलासपुर। Nuns Arrest Case: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की एक विशेष अदालत ने शनिवार को दुर्ग जिले में कथित मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार केरल की दो नन समेत तीन लोगों को जमानत दे दी।
बिलासपुर स्थित एनआईए (NIA) कोर्ट ने दोनों नन को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। इससे पहले शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इस केस की सुनवाई प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज सिराजुद्दीन कुरैशी के कोर्ट में हुई।
Nuns Arrest Case: जानिए पूरा मामला
आपको बता दें कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दो ननों और एक युवक को रोका था। आरोप था कि तीनों, नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए सभी को GRP के हवाले कर दिया था। GRP थाना भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामले की जांच के बाद धर्मांतरण की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था।
खारिज हो चुकी थी एक याचिका
इससे पहले, छत्तीसगढ़ की एक सेशन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उसे इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है, क्योंकि मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ है और इस पर निर्णय लेने का अधिकार NIA कोर्ट को है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद उनकी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बिलासपुर स्थित इस अदालत शनिवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट के आदेश के बाद दोनों नन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।
जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती- सरकारी वकील
वहीं, सरकारी वकील दाऊराम चंद्रवंशी ने कहा कि, मामला अभी जांच के शुरुआती स्तर पर है। ऐसे में जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एनआईए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख था
जमकर हो रही थी सियासत
उल्लेखनीय है कि, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में दो ननों की गिरफ्तारी के बाद इस पर जमकर सियासत हो रही थी। कांग्रेस के सांसदों ने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन भी किया। इंडिया गठबंधन के कई सांसद ननों से मिलने के लिए दुर्ग जेल पहुंचे। इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।