संजय गुप्ता/बलरामपुर@ नगर पालिका बलरामपुर एक बार फिर सुर्खियों में है और इस बार मामला बेहद शर्मनाक है.. करोड़ों के विकास के दावे करने वाली पालिका की छत पर लाखों रुपए की दवाइयां सड़ती मिलीं.. ये वही दवाइयां हैं जो मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य स्लम योजना के तहत मरीजों तक पहुंचाई जानी थीं, लेकिन अफसरों की लापरवाही और भ्रष्ट रवैये के चलते एक्सपायर होकर कचरे में बदल गईं..

सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में दवाइयों की खरीदी क्यों की गई ? क्या ये महज़ चूक है या फिर सुनियोजित घोटाला ? आरोप सीधे नगर पालिका अधिकारी पर हैं – कहीं ऐसा तो नहीं खरीदी की आड में एजेंसियों से मिलकर कमीशनखोरी और फर्जी बिलिंग का खेल रचा गया..
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आम मरीज सरकारी अस्पतालों में दवाइयों के लिए तरसते रहे, वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका ने लाखों की दवाइयों को छत पर सड़ने के लिए छोड़ दिया.. यह सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी नहीं बल्कि जनता के स्वास्थ्य से सीधा खिलवाड़ है..

मुख्य नगर पालिका अधिकारी गोल मोल जवाब देते हुए पल्ला झाड़ते नजर आए.. उनका कहना है “ये दवाइयां मेरी जॉइनिंग से पहले की हैं और बिना ऑडिट इन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता” लेकिन असलियत ये है कि ये दवाइयां हाल ही में एक्सपायर हुई हैं और सड़ते कार्टून साफ दिखाते हैं कि प्रशासन ने आंखें मूंद रखी थीं.. इतना ही नहीं देखने से यह लगता है कि यह दवाइयां केवल इसी वर्ष के ही नहीं बल्कि पिछले कई सालों का मिक्स दवाइयां से यहां पर पड़ी हुई है..

स्पष्ट है नगर पालिका का यह ‘दवा कांड’ सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की दुर्गंध देता है.. ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री शहरी सलाम योजना के अंतर्गत खरीदी की दवाइयां जरूरत से ज्यादा कमीशन के चक्कर खरीद ली जाती है और आखिरकार यह दवाइयां बेकार साबित होती है.. यदि यह दवाइयां सही समय पर जरूरतमंद तक पहुंच जाती है तो न जाने कितनों का भला हो जाता है..